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Friday, January 8, 2016

काश की सो जाऊं मैं...

उम्मीद तो नहीं है,
पर सोचता हूँ कि सो जाऊं मैं, 
दुनिया की दुश्वारियों से जुदा हो जाऊं मैं,
ना थी उम्मीद इस ज़िन्दगी की,
सोचता हूँ कि अब जुदा हो जाऊं,
सब तो छोड़ चले मुझे अकेला इस जहां में,
फिर क्यूँ ना मैं इस दुनिया जुदा हो जाऊं,
जीने की कोशिश करते करते,
मरने की कोशिशें करने लगा,
सोचता हूँ कि अब थम जाऊं,
या तो जी लूँ या मर जाऊं,
पर ना तो ज़िन्दगी रूकती है और ना ही मैं,
काश की सो जाऊं मैं...

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